आप सभी सोच रहे होंगे के ऐसा क्या प्रश्न है ??
तो चलिए मैं बात को घुमा फिराकर न कहकर सीधे आप सभी से पूछता हूँ.
ये प्रश्न सभी महिलायों / युवतियों से है जो दिल्ली में आने जाने हेतु मेट्रो का प्रयोग करती हैं । क्यूंकि मैं भी मेट्रो में एक रोजाना यात्रा करने वाला युवा हूँ ।
जैसा की आप सभी जानते होंगे के मेट्रो में अधिकतर सीटो में प्रत्येक सीट पर २ सीटें महिलाओ हेतु एवं २ बुजुर्गो अवं विकलांगो हेतु आरक्षित होती हैं ।
अब मुझे सिर्फ ये बताएगा के
1. क्या हमेशा ही युवा लडकियां अवं महिलाएं इतनी थकी हुई होती हैं के उन्हें आते ही सीट चाहेये ??
२ क्या कभी युवा लड़के थके हुए नहीं हो सकते ??
३ क्या लड़के अगर सीट पर बैठे हुए हैं (जोकि जब वे आये होंगे तब खाली होगी ) तो क्या उन्हें बैठना ही नहीं चाहेये।
ये प्रश्न मेरे विचारों में काफी दिनों से घूम रहा था ........
चलिए अब मैं आपको एक अपना लगभग रोज होने वाले अनुभवों में से 1 अनुभव सुनाता हूँ । उसे पड़कर अपनी राय देजीयीगा .......
।1 कुछ दिनों पहले एक युवा लड़का जो काफी दूर से खड़ा होकर आ रहा था उसे काफी देर बाद एक सीट मिली जिसकी कोने की २ सीटें महिलायों हेतु आरक्षित थी । हालाकि वो लड़का उन सीटो से अलग बैठा हुआ था ।
तभी एक युवा लड़की जो चुस्त जेंस शर्ट पहने और मोबाइल पर बातें करते हुए आई और आते से सीधे लड़के से बोली की आप यहाँ से उठ जाएये क्यूंकि ये महिलायों हेतु आरक्षित है । अब वो लड़का जो काफी थका हुआ था उसने यही कहा के आपकी कोने की सिर्फ २ सीटें ही आरक्षित हैं ये आपकी नहीं है। अगर आपको सीट चाहेये तो आप वैसे ही कह सकती हैं तब मैं आपको सीट दे दूंगा ऐसे तो नहीं दूंगा । तब लड़की ने उस लड़के को ऐसे देखा जैसे उसने पता नहीं उसे क्या अपशब्द कह दिए हों । और उस लकड़ी के आस पास कड़ी सारी महिलाओ ने भी उसे तीखी नज़रों से देखना शुरू कर दिया । जब लड़के को उनके देखने से असुविधा हुई तब लड़के ने तभी सीट उस युवती को दे दी ।
बाद में उस युवती ने वहां बैठकर भी अपने मोबाइल से बात करना ही जारी रखा और वो लड़का जो शायद पहले से ही थका हुआ था वो फिर से एक कोने में खड़ा था। वो युवती २ स्टेशन बाद ही उतर गयी । उसके उतारते ही उस सीट पर एक दूसरी महिला का कब्ज़ा हो गया अवं वो लड़का पहले की तरह ही खड़ा रहा ।
अब मुझे ये बताएगा की इस अनुभव में लड़के की क्या गलती थी ????
अब इस बात पर विचार किजेयेगा और अगर इस लेख को अगर कोई यावती / महिला पढ़े तो ज़रूर बताएगा ।
अपने इस लेख के माध्यम से मैं सिर्फ यही कहना चाहता हूँ के ठीक है जो वास्तव में सीट की हकदार है जैसे बुज़ुर्ग अवं विकलांग उन्हें तो वो सीट चाहे उनके लिए आरक्षित हो या नहीं उन्हें ज़रूर देनी चाहेये परन्तु क्या ऐसी युवतियों को सीट मिलनी चाहेये ??????
आज के लिए इस प्रश्न के साथ आपसे विदा लेता हूँ ।
कृपया अपनी टिप्पणी ज़रूर दें।
तो चलिए मैं बात को घुमा फिराकर न कहकर सीधे आप सभी से पूछता हूँ.
ये प्रश्न सभी महिलायों / युवतियों से है जो दिल्ली में आने जाने हेतु मेट्रो का प्रयोग करती हैं । क्यूंकि मैं भी मेट्रो में एक रोजाना यात्रा करने वाला युवा हूँ ।
जैसा की आप सभी जानते होंगे के मेट्रो में अधिकतर सीटो में प्रत्येक सीट पर २ सीटें महिलाओ हेतु एवं २ बुजुर्गो अवं विकलांगो हेतु आरक्षित होती हैं ।
अब मुझे सिर्फ ये बताएगा के
1. क्या हमेशा ही युवा लडकियां अवं महिलाएं इतनी थकी हुई होती हैं के उन्हें आते ही सीट चाहेये ??
२ क्या कभी युवा लड़के थके हुए नहीं हो सकते ??
३ क्या लड़के अगर सीट पर बैठे हुए हैं (जोकि जब वे आये होंगे तब खाली होगी ) तो क्या उन्हें बैठना ही नहीं चाहेये।
ये प्रश्न मेरे विचारों में काफी दिनों से घूम रहा था ........
चलिए अब मैं आपको एक अपना लगभग रोज होने वाले अनुभवों में से 1 अनुभव सुनाता हूँ । उसे पड़कर अपनी राय देजीयीगा .......
।1 कुछ दिनों पहले एक युवा लड़का जो काफी दूर से खड़ा होकर आ रहा था उसे काफी देर बाद एक सीट मिली जिसकी कोने की २ सीटें महिलायों हेतु आरक्षित थी । हालाकि वो लड़का उन सीटो से अलग बैठा हुआ था ।
तभी एक युवा लड़की जो चुस्त जेंस शर्ट पहने और मोबाइल पर बातें करते हुए आई और आते से सीधे लड़के से बोली की आप यहाँ से उठ जाएये क्यूंकि ये महिलायों हेतु आरक्षित है । अब वो लड़का जो काफी थका हुआ था उसने यही कहा के आपकी कोने की सिर्फ २ सीटें ही आरक्षित हैं ये आपकी नहीं है। अगर आपको सीट चाहेये तो आप वैसे ही कह सकती हैं तब मैं आपको सीट दे दूंगा ऐसे तो नहीं दूंगा । तब लड़की ने उस लड़के को ऐसे देखा जैसे उसने पता नहीं उसे क्या अपशब्द कह दिए हों । और उस लकड़ी के आस पास कड़ी सारी महिलाओ ने भी उसे तीखी नज़रों से देखना शुरू कर दिया । जब लड़के को उनके देखने से असुविधा हुई तब लड़के ने तभी सीट उस युवती को दे दी ।
बाद में उस युवती ने वहां बैठकर भी अपने मोबाइल से बात करना ही जारी रखा और वो लड़का जो शायद पहले से ही थका हुआ था वो फिर से एक कोने में खड़ा था। वो युवती २ स्टेशन बाद ही उतर गयी । उसके उतारते ही उस सीट पर एक दूसरी महिला का कब्ज़ा हो गया अवं वो लड़का पहले की तरह ही खड़ा रहा ।
अब मुझे ये बताएगा की इस अनुभव में लड़के की क्या गलती थी ????
अब इस बात पर विचार किजेयेगा और अगर इस लेख को अगर कोई यावती / महिला पढ़े तो ज़रूर बताएगा ।
अपने इस लेख के माध्यम से मैं सिर्फ यही कहना चाहता हूँ के ठीक है जो वास्तव में सीट की हकदार है जैसे बुज़ुर्ग अवं विकलांग उन्हें तो वो सीट चाहे उनके लिए आरक्षित हो या नहीं उन्हें ज़रूर देनी चाहेये परन्तु क्या ऐसी युवतियों को सीट मिलनी चाहेये ??????
आज के लिए इस प्रश्न के साथ आपसे विदा लेता हूँ ।
कृपया अपनी टिप्पणी ज़रूर दें।
4 comments:
hmmm....vry gud post Mr.Ankit....u r growing quite early as a blogger....
see dere r several things....
its nt just lyk dat its d case in metro itself...
d case 4 reservation is evrywhere in gvt sector,m not mentioning d sectors coz it wud becum too long in dat case......1st thng..
d odr thng is,,,eg was sarcastic....saali ko pakad leta wahi pe aur..............
hehehe....just kidding bro...
see bro...actually d ground reality is seats r reserved n yes i do agree dat shud b reserved 4 "Women",,,(not sarcastic gals)....coz working ppl,,,spcly women get tired easily n men r supposed 2 b strong...
aur bahut baar toh aisa hota h ki
ol men r sitting n women r standing...
so its just a small incidence dat touched u....
but i lykd dat...,,,it shows ur gud observation...n as a blogger u hav 2 make ur observation more stronger...
1 last thing....
ladkiya toh isko tab padhengi na
jab koi follower hogi....
U turned the whole question bro.....
I was just asking whether that kind of girl should have got that seat or not and why always girls/ladies wants seat ??
Athough yes man are supposed to be much stronger but why always man has to sacrified ??
on the one hand you are saying that WOMEN are EQUAL then MAN in each and every field and on the second hand they always hope that all man should think that because womans are not so stronger so its their duty to give their seat to them.
Damm i think that both man and woman are equal in terms of stamina. its the matter of stamina not the power.
hope u got my point of view.
sahi sawaal hai aapka.
is par to mahilaaon ko hi sochna chaahiye.
aise hi saarthak lekhan jaari rakhiye.
shubh kamnayen
कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की कष्टकारी प्रक्रिया हटा दें !
यूँ लगता है मानो शुभेच्छा का भी सार्टिफिकेट माँगा जा रहा हो ।
बहुत ही आसान तरीका :-
ब्लॉग के डेशबोर्ड पर जाएँ > सेटिंग पर क्लिक करें > कमेंट्स पर क्लिक करें >
शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > यहाँ दो आप्शन होंगे 'यस' और 'नो' बस आप "नो" पर टिक
कर दें >नीचे जाकर सेव सेटिंग्स कर दें !
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